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नई दिल्ली।। जापानी और चीनी लोग भारतीयों के ही वंशज हैं। यही नहीं, सभी पूर्व एशियाई देशों के निवासियों के पुरखे भारतीय ही थे। मानवों के विकास और दुनिया में उनके फैलने के बारे में एक महत्वपूर्ण स्टडी में यह बात सामने आई है। इसका फायदा यह होगा कि पूरे रीजन में फैलने वाली बीमारियों के इलाज के लिए बनने वाली दवाइयों के एक ही जगह क्लीनिकल ट्रायल किया जा सकेगा।
साइंस एंड टेक्नॉलजी मिनिस्टर पृथ्वीराज चव्हाण ने बताया कि मैपिंग ह्यूमन जिनेटिक हिस्ट्री इन एशिया नाम की यह स्टडी भारत समेत 10 एशियाई देशों के वैज्ञानिकों ने की है। इसमें इस बात को भी खारिज किया गया है कि करीब हजार साल पहले इंसान अफ्रीकी रीजन से सीधे पूर्वी एशियाई देशों की तरफ गए थे।
काउंसिल फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) के डायरेक्टर जनरल समीर ब्रह्माचारी ने कहा कि यह रिसर्च इंसानों की माइग्रेशन पैटर्न को समझने के लिहाज से बहुत अहम है।
साइंस एंड टेक्नॉलजी मिनिस्टर पृथ्वीराज चव्हाण ने बताया कि मैपिंग ह्यूमन जिनेटिक हिस्ट्री इन एशिया नाम की यह स्टडी भारत समेत 10 एशियाई देशों के वैज्ञानिकों ने की है। इसमें इस बात को भी खारिज किया गया है कि करीब हजार साल पहले इंसान अफ्रीकी रीजन से सीधे पूर्वी एशियाई देशों की तरफ गए थे।
काउंसिल फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) के डायरेक्टर जनरल समीर ब्रह्माचारी ने कहा कि यह रिसर्च इंसानों की माइग्रेशन पैटर्न को समझने के लिहाज से बहुत अहम है।
इससे इन देशों में फैलने वाले फ्लू, एचआईवी और अन्य महामारियों के इलाज खोजने में काफी मदद मिलेगी। ब्रह्माचारी ने कहा कि भारतीय लोगों के लिहाज से तैयार की गई कोई भी दवाई पूरे एशियाई लोगों पर भी उसी तरह असर करेगी। स्टडी के मुताबिक, भारत से लोग दक्षिण-पूर्व एशिया और पूर्वी एशिया गए थे। उन सभी का जेनेटिक ओरिजन एक जैसा है। इससे साबित होता है कि एशिया की जेनेटिक विभिन्नता का सार भारत में निहित है।
यह रिसर्च दक्षिण-पूर्वी एशियाई और पूर्वी एशियाई देशों के करीब 1928 विभिन्न लोगों पर की गई। इनमें 10 देशों के करीब 73 अलग-अलग आबादियों से लोग शामिल थे। इन देशों में चीन, भारत, इंडोनेशिया, जापान, मलयेशिया, फिलिपीन, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, ताइवान और थाइलैंड शामिल हैं। इस काम को ह्यूमन जीनोम ऑर्गनाइजेशन के करीब 90 वैज्ञानिकों ने अंजाम दिया।
यह रिसर्च दक्षिण-पूर्वी एशियाई और पूर्वी एशियाई देशों के करीब 1928 विभिन्न लोगों पर की गई। इनमें 10 देशों के करीब 73 अलग-अलग आबादियों से लोग शामिल थे। इन देशों में चीन, भारत, इंडोनेशिया, जापान, मलयेशिया, फिलिपीन, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, ताइवान और थाइलैंड शामिल हैं। इस काम को ह्यूमन जीनोम ऑर्गनाइजेशन के करीब 90 वैज्ञानिकों ने अंजाम दिया।
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(http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/5327162.cms)
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